Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi, माँ मनसा देवी जी का इतिहास, mansa devi temple, devotional stories, धार्मिक कहानिया.
माँ मनसा देवी जी का इतिहास हजारो साल पुराना है उनके दो इतिहासिक और भव्य मंदिर विश्व प्रसिद्ध है जहाँ वो पिंडी सवरूप मे बिराजित है। यहाँ भक्तो की भारी भीड़ लगी रहती है लोग देश विदेशो से माँ के दरबार में अपनी मंनते लेकर बड़े ही श्रधा भाव से माँ के जयकारे लगाते हुए हाज़री भरते है और मन मांगी मुरादे पाते है। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
जिनमे से एक मंदिर चण्डीगढ़ के सीमा के पास मनीमाजरा, पंचकुला, हरियाणा मे बना है और दूसरा हरिद्वार, उत्तराखण्ड में स्थापित है। माँ मनसा देवी जी को शिव भगवान तथा माँ पार्वती जी की सबसे छोटी पुत्री माना जाता है मनसा देवी जी का प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ इस कारण से उन्हें मनसा देवी कहा जाता है। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
महाभरत अनुसार माँ का वास्तविक नाम जरत्कारु था समय आने पर भगवान शिव द्वारा उनका विवाह महर्षि जरत्कारु से किया गया और उन दोनों को तेजस्वी पुत्र हुआ जिनका नाम आस्तिक रखा गया जिन्हों ने नागों के वंश को नष्ट होने से बचाया। माँ मनसा जी की बड़ी बहन देवी अशोकसुंदरी, ज्योति बड़े भाई भगवान कार्तिकेय और अय्यपा तथा छोटे भाई भगवान गणेश जी है। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
मां मनसा देवी जी का जन्म-इतिहास तथा मंदिर स्थापना की कुछ पौराणिक कथाए
Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
कहते है कि भगवान कार्तिकेय की तरह ही माँ पार्वती जी ने देवी वासुकी या मनसा को जन्म नहीं दिया था फिर भी उन्हें शिव पुत्रियों अशोक सुंदरी, ज्योति या मां ज्वालामुखी समान ही माना तथा आदर दिया जाता है और उन्हें शिव पुत्री मनसा भी कहा जाता है। माँ मनसा जी के जन्म से कुछ कथाए जुड़ी है अब उन पर बात करते है।
मां मनसा देवी जी के जन्म की कुछ कथाए – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
अलग अलग पुराणों में माँ मनसा की अलग अलग कथाए है माँ मनसा देवी जी के जन्म पर पुरातन धार्मिक ग्रंथों और कथाओ अनुसार कुछ कथाए बहुत प्रसिद्ध है जिनका वर्णन इस प्रकार है।
ऋषि कश्यप पुत्री मनसा ? – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
ब्रहमा जी के सात मानस पुत्रों में एक पुत्र मारिच थे जिनसे महान और प्राचीन ऋषि कश्यप उत्पन्न हुए। जिनका उल्लेख ऋग्वेद में भी है। उन्हें वैदिक ॠषियों में प्रमुख तथा सर्वदा धार्मिक एंव रहस्यात्मक चरित्र वाला एंव बहुत प्राचीन तथा सप्त ऋषियों में भी उनका महान स्थान बतलाया गया है। ऋषि कश्यप ने प्रजापति की 17 पुत्रियों से विवाह किया जिनमे से एक कद्रू भी थी। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
एक पुरातन कथा अनुसार हज़ारों वर्ष पहेले नागों की गणना अत्य अधिक बड़ने के कारण मानव जीवन में बहुत ही कठनाई आने लगी। धरती पर लोग परेशान हो चुके थे उन्हें हर समय विषेले संपो का भय बना रहता था तब सभी लोगों ने ऋषि कश्यप की शरण ली और उन्हें अपनी समस्या के बारे मे बताया। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
ऋषि कश्यप ने उनकी प्रथान पर ध्यान देते हुए बात की गंभीरता को समझा और समस्या के निवारण हेतु अंतर ध्यान किया। तत्पश्चात उन्होंने ने अपने मन में एक ऐसी कन्या का ध्यान किया जिसमे कि सब लोको में किसी भी नाग या सांप से अधिक विष हो तथा वो मानव जाति की रक्षा कर सके। तब ऋषि कश्यप के मस्तक से उनका प्रादुर्भाव हुआ इसलिए उनका नाम मनसा पड़ा तथा उन्हें ऋषि कश्यप और कद्रू पुत्री भी कहा गया। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
शिव पुत्री मनसा ? – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
13वीं और 18वीं शताब्दी के समय बंगाल में लिखे विजयगुप्त का मनसा मंगल काव्य तथा विप्रदास पिल्ले का मनसाविजय काव्य जिसमे कि कई देवताओं के बारे मे लिखा गया है और मनसा देवी के जन्म का वृत्तांत भी इसमें देखने को मिलता है जो इस प्रकार है। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
काव्य के अनुसार वासुकि नाग की माता और ऋषि कश्यप की पत्नी कद्रू जिन्हें नाग माता भी कहा जाता है उन्होंने एक कन्या की प्रतिमा का निर्माण किया जो शिव वीर्य से स्पर्श होते ही एक नागकन्या बन गई। जोकि मनसा कहलाई और वासुकि जी की बहन होने के कारण उन्हें देवी वासुकी भी कहा जाता है।
विष की देवी – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
भिन्न भिन्न पुराणों में माँ की भिन्न भिन्न किंवदंती है। पुराणों अनुसार इनका जन्म शिव के मस्तिष्क से हुआ और वो किसी भी विष से अधिक शक्तिशाली थी इस कारण से ब्रह्मा जी ने उन्हें विषहरी नाम दिया और कुछ काव्य अनुसार उन्होंने ही शिव जी को हलाहल विष से मुक्त किया था। इसलिए माँ को विष की देवी भी कहा जाता है
मनसा देवी का कठोर तप – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक नाग कन्या थी जो शिव तथा कृष्ण भक्त थी विष्णु पुराण मे भी नाग कन्या का वर्णन है जो आगे जा कर मनसा नाम से प्रचलित हुई। कहा जाता है कि माँ मनसा ने कठोर तप किया और भगवान शिव को प्रसन्न करके उनसे वेदों का ज्ञान तथा श्रीकृष्ण मंत्र प्राप्त किया जिसे कल्पतरु मंत्र कहा जाता है। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
इसके बाद उन्होंने राजस्थान के पुष्कर में पुन: कठोर तप किया और भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन पाए, उन्होंने माँ मनसा के तप से प्रसन्न हो कर उनको सदैव पूजित होने का वरदान दिया।
मनसा देवी पूजा – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
बंगाल पंचांग के अनुसार भादो महीने मे पूरा माह इनकी स्तुति होती है माना जाता है सर्पदंश का इलाज मनसा देवी के पास होता है। विष की देवी के रूप में इनकी पूजा झारखंड बिहार और बंगाल अदि में बड़े धूमधाम से की जाती है। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
गंगा दशहरा के दिन भी बंगाल में मनसा देवी की पूजा की जाती है और कई जगह कृष्णपक्ष पंचमी को पूजा की जाती है। पंचमी के दिन रीती रिवाजो और मान्यता अनुसार घर के आंगन में नागफनी की शाखा पर माँ की पूजा करने से नाग या अन्य किसी प्रकार के विष का भय नहीं रहता और माँ की पूजा के पश्चात् ही नाग पूजा की जाती है। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
वहां माँ की पूजा प्रतिमा या तस्वीर न रख कर इसकी जगह मिट्टी का सांप बनाकर या मिट्टी का घड़ा, पेड की कोई डाल को रख की जाती है ऐसी मान्यता है कि मनसा माँ की पूजा से कालसर्प दोष भी दूर होता है और विवाह समस्या से छुटकारा मिलता है तथा संतान सुख भी प्राप्त होता है। माँ सबकी मन की मन्ते पूरी करती है इसलिए भी भक्त माँ को मनसा देवी के नाम से मानते है तथा माँ सर्प अदि से भी रक्षा प्रधान करती।
माँ मनसा सवरूप – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
मनसा देवी के रक्षण में सदैव 7 नाग विद्यमान रहते है। कई प्रतिमा या चित्रों में माँ को सर्प और कमल पर विराजमान तथा एक बालक के साथ दिखाया गया है जिनको उनकी गोद मे बिराजित दिखाया गया है वो माँ मनसा के तेजस्वी पुत्र आस्तिक है। वहीँ कुछ जगह माँ को हंस पर बिराजित दिखाया गया है।
माँ को शैवी, जगदगौरी, मनसा, नागेश्वरी, जरत्कारुप्रिया, आस्तीकमाता, नागभगिनी, सिद्धयोगिनी, वैष्णवी, विषहरीती, महाज्ञानयुता, शिवसुता, गौरीनन्दिनी आदि नाम से भी जाना जाता है और माँ के अस्त्र त्रिशूल, चक्र, पाश, खड्ग, नाग, शंख, वर मुद्रा, अभय मुद्रा अदि है। उनका का निवास स्थान कैलाश तथा नागलोक बताया जाता है और नाग और नागिन का जोड़ा उनका प्रतिक माने जाते है।
मनसा पुत्र आस्तिक – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
आस्तिक जी माँ मनसा तथा ऋषि कश्यप के पुत्र है महाभारत के समय पाण्डुवंश में पांच पाणडवो में एक महान धनुर्धारी अर्जुन थे जिनकी द्वितीय पत्नी सुभद्रा थी जो श्रीकृष्ण और श्रीबलराम जी की बहन थी। अर्जुन और सुभद्रा जी के पुत्र थे अभिमन्यु जो महाभारत के युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए थे।
अभिमन्यु के पुत्र थे परीक्षित जिनकी मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई थी। परीक्षित के पुत्र जन्मेजय ने अपने 6 भाइयो के साथ मिलकर पूरी नाग जाति से बदला लेने और उनके विनाश के लिए नागेष्ठी यज्ञ किया। उस समय मनसा पुत्र ने ही नागों को बचाया था। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
महाराजा युधिष्ठिर ने भी महाभारत के समय माँ मनसा का पूजन किया था जिसके फल स्वरूप युद्ध मे उनकी विजय हुई जिस जगह राजा ने पूजा की थी वहां सालवन गाँव में बहुत ही भव्य मंदिर का निर्माण हुआ।
मनसा देवी मंदिर इतिहास, चंडीगढ़ पंचकुला – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
कथा अनुसार एक गाय थी रोज़ शिवालिक की पहाड़ियों में एक चोटी पर बराजित तीन पिंडों पर दूध चढ़ाती थी। ये देखकर स्थानीय निवासी बहुत हैरान रह गए और उस जगह 3 पवित्र शिलाओं की उत्पत्ति हुई। सभी ने उन पवित्र पिण्डो की पूजा आरम्भ कर दी जो कि श्री सती के माथे के रूप में पाया गया। तभी वहां एक मंदिर की स्थापना की गई।
Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
अंत श्री मनसा देवी के वर्तमान मुख्य मंदिर का निर्माण मनीमाजरा के महाराजा गोपाल सिंह ने करवाया, जो 1811-1815 की अवधि के दौरान ग्राम बिलासपुर, तहसील और जिला पंचकुला में शिवालिक तलहटी पर स्थित है। मनसा देवी के मंदिर को पहले माता सती के मंदिर के नाम से जाना जाता था। ऐसा कहा जाता है कि राजा गोपालदास जो मनीमाजरा के राजा थे उन्होंने अपने किले से मंदिर तक एक गुफा बनवाई थी, जो लगभग 3 किलोमीटर लंबी थी। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
मनसा देवी मंदिर से कुछ 200 मीटर की दूरी पर पटियाला मंदिर है जिसे करम सिंह ने बनवाया और बाद में 1840 में महाराजा पटियाला ने। मा कालका का प्रसिद मंदिर भी मनसा देवी मंदिर से कुछ 1 घंटे की दुरी पर ही है। मनसा मंदिर को मनीमाजरा राज्य का संरक्षण प्राप्त था। परन्तु पेप्सू में विलय के बाद राज्य सरकार का संरक्षण समाप्त हो गया और मंदिर उपेक्षित रह गया था।
तब मनीमाजरा के राजा गोपालदास जीने पुजारी को ‘खिदमतुजार’ के रूप में नियुक्त किया जिसका कर्तव्य मंदिर में पूजा करना था। पेप्सू में रियासत के विलय के बाद ये पुजारी मंदिर और मंदिर से जुड़ी भूमि के मामलों को नियंत्रित करने और प्रबंधित करने के मामले में स्वतंत्र हो गए।
350 साल पुराना वृक्ष – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
मंदिर के प्रांगण में का एक वृक्ष करीब 350 साल पुराना है ये इतिहासिक वृक्ष देवी मां की प्रतिमा के ठीक सामने स्थापित है। वृक्ष पर रोज़ाना ४०० से ५०० श्रद्धालु रोज़ कमाना सूत्र बांधते और अपनी मनोकामना माँ से मांगते है। कमाना पूरी होने भक्त फिर माँ के दरबार में आते है और कामना सूत्र खोल कर माँ का शुकराना करते है ऐसी मान्यता है कि कमाना पूर्ण होने पर सूत्र खोलना ज़रूरी है।
मनसा देवी मंदिर , चंडीगढ़ पंचकुला जाने के यातायात अव सुविधा -Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
माता मनसा का मंदिर चंडीगढ़ के समीप पंचकुला हरियाणा में है, ये मंदिर चंडीगढ़ बस स्टैंड से लगभग 10 से 12 किमी तथा पचकुला बस स्टैंड से 4 किमी की दुरी पर स्तिथ , मनसा देवी मंदिर में बस या ऑटो रिक्शा से पहुंचा जा सकता है। कहीं से भी यहाँ आप आसानी से पहुंच सकते है नवरात्री के दिनों में यहाँ यात्रियों के आने जाने का विशेष प्रबंध चंडीगढ़ परिवहन द्वारा किया जाता है। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
यदि आप लोग रेल से यात्रा के बारे में सोच रहे है तो यह उसकी भी उचित व्यवस्था है। चंडीगढ़ -कालका रेल लाइन यह आपको हमेशा ही उपलब्ध मिलेगी। यहाँ नवरात्रि में भव्य मेले का आयोजन प्रतिवर्ष होता है, यह 100 एकड़ में फैला विशाल मंदिर है।
मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार इतिहास – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
कथा अनुसार प्राचीन काल में महिषासुर नामक असुर ने बहुत ही उत्पात मचा रखा था उसने सारे देवी – देवो तथा मानव जाति को दुखी कर दिया था। उसके अत्याचार हर दिन बड़ते ही जा रहे थे हर लोक मे हाहाकार होने लगी और असुर हर तरफ विनाश कर रहे थे।
अंत सभी देव त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु, महेश जी के पास गए और उन्हें अपनी सम्पूर्ण समस्या के बारे में बताया तथा असुर का अन्त करने की प्राथना करने लगे। ये सुन कर तीनो देवो को अत्यंत क्रोध आया और उस क्रोध से तीन तेज पुंज निकले वे तीनो तेज पुंज एक जगह जाकर समन्वय हो गए। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
उसी तेज पुंज से माँ भगवती दुर्गा का अवतार हुआ सब देवो ने माँ को मन की बात कही। माँ से प्रथान की, हे मा हमारी रक्षा करे, इस असुर का अंत कर कृपया हमें भय मुक्त करे। देवो के प्रथान से माँ रणभूमि में उतरी और विराट रूप धारण कर महिषासुर का अन्त किया।
देवो की मनोकामना माँ ने पूरी की इसलिए उसी दिन से माँ भगवती दुर्गा को माँ महिषासुरमर्दिनी मनसा देवी के नाम से जाना जाता है। मंदिर में माँ भगवती मनसा देवी की पिंडी रूप में दो सतियों का वास है एक माँ महिषासुरमर्दिनी के रूप मे और दूसरा नाग कन्या मनसा देवी के रूप में है।
कथा अनुसार सुमद्र मंथन के समय सुमद्र से कई बहुमूल्य वस्तुए निकली थी जिन्हें सभी देवो ने ग्रहण किया। उसी मंथन के समय समद्र में से बहुत ही भयानक अति वेषैला विष निकला जिसे सभी के हित के लिए महादेव ने ग्रहण किया। विष अत्यादिक तीव्र था जो महादेव को पीड़ा पहुंचा रहा था भगवान ने उस समय एक नाग कन्या को जन्म दिया जिसका नाम मनसा पड़ा। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
भगवान ने उस नाग कन्या को जटा में ग्रहण किया तथा उस नाग कन्या ने महादेव के कंठ मे उतर कर सारा विष खीच लिया और महादेव को उस विष से मुक्त किया। उसी दिन से ऐसी मान्यता है कि जो भी माँ के दरबार में कालसर्प दोष की पूजा करवाता है उसका कालसर्प दोष दूर होता है तथा अन्य सभी समस्या दूर होती है और माँ उनकी हर मनोकामना पूरी करती है।
मंदिर में दो मूर्तियाँ हैं। जिसमे से एक मूर्ति माँ गायत्री की है जिनकी स्थापन प्राचीनकाल से चली आ रही बलि प्रथा को रोकने के लिए किया गया था जिसके 5 मुख और 10 भुजाएं है। दूसरी मूर्ति माँ भगवती महिषासुरमर्दिनी मनसा देवी की है जिनका 1 मुख और 18 भुजाएँ है और ये मुर्तिया हाथों में शास्त्र लिए बिराजित है।
मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार जाने के यातायात अव सुविधा – Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi
मनसा देवी मंदिर, हरिद्वार एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है जहाँ हज़ारों श्रद्धालु अपनी कामना ले कर माँ के दरबार आते है ये मंदिर हरिद्वार से लगबग 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यहाँ से सारे हरिद्वार का दृश्य को देखा जा सकता है माँ का ये शक्तिपीठ हरिद्वार के 53 सिद्ध-पीठों और पंच-तीर्थों में से एक है। मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्री केबल कार तथा रोपवे का प्रयोग भी कर सकते है।
यहाँ भी एक पेड़ है जिस पर भक्त कमाना सूत्र बंधते है मान्यता अनुसार यहाँ जो कोई श्रद्धालु सच्चे दिल से कमाना सूत्र बंधता है माँ मनसा उसकी मनोकामना को ज़रूर पूरा करती है। जिन भक्त की प्रथान माँ स्वीकार कर लेती है वो दुबारा माँ के दरबार में उनका धन्यवाद करने आते है और माँ मनसा के दर्शन कर कामना सूत्र को खोल देते है ऐसा करना आवशक माना जाता है। ये प्रथा प्रचीन काल से चलती आ रही है। माँ निर्धन को धन और बिन संतान वालो को संतान देती है हर श्रद्धालु अपनी कमना अनुसार माँ से फल पाता है और जोलियाँ बर कर जाता है।
किसी भी शहर से हरिद्वार पहुंचने के लिए आपको आसानी से बस या रेल और प्राइवेट कार अदि मिल जाएंगे, क्यूंकि भारत के सभी शहरो से हरिद्वार आने के बहुत यातायात साधन उपलब्ध रहते है। हरिद्वार आने के बाद मंदिर सिर्फ 3 किमी दूर ही रह जाता है वहां से कुछ लोग कुछ दूर तक निजी वाहनों में जाते है या कोई लोकल ट्रांसपोर्ट से और कुछ भक्त पैदल ही माँ के दरबार की यात्रा करते है| मंदिर पहुंचने के लिए केबल कार और रोपवे अदि भी उपलब्ध है।
मंदिर सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है और दुपहर में 2 घंटे माँ के मंदिर के पट बंद कर दिए जाते है। सारा दिन माँ के भक्त हाज़िर भरते रहते है दूर दूर से लोग यहाँ आते है और माँ के पावन दर्शन करके मंतर मुदग होते है। Mansa Devi Story & Great 5 History fact in Hindi यहाँ सम्पूर्ण हुए आपका धन्यवाद्। माँ आप सभी की मनोकामना पूरी करे और आपके जीवनसाथी के साथ आपके रिश्ते को और अच्छा करे।
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मनसा देवी का इतिहास
माँ मनसा देवी जी का इतिहास हजारो साल पुराना है उनके दो इतिहासिक और भव्य मंदिर विश्व प्रसिद्ध है जहाँ वो पिंडी सवरूप मे बिराजित है। यहाँ भक्तो की भारी भीड़ लगी रहती है जिनमे से एक मंदिर चण्डीगढ़ के सीमा के पास मनीमाजरा, पंचकुला, हरियाणा मे बना है और दूसरा हरिद्वार, उत्तराखण्ड में स्थापित है। माँ मनसा देवी जी को शिव भगवान तथा माँ पार्वती जी की सबसे छोटी पुत्री माना जाता है मनसा देवी जी का प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ इस कारण से उन्हें मनसा देवी कहा जाता है।
मनसा देवी का मंदिर कहां है?
माँ के दो इतिहासिक और भव्य मंदिर विश्व प्रसिद्ध है जहाँ वो पिंडी सवरूप मे बिराजित है। जिनमे से एक मंदिर चण्डीगढ़ के सीमा के पास मनीमाजरा, पंचकुला, हरियाणा मे बना है और दूसरा हरिद्वार, उत्तराखण्ड में स्थापित है।
मनसा देवी कौन है?
माँ मनसा देवी जी को शिव भगवान तथा माँ पार्वती जी की सबसे छोटी पुत्री माना जाता है मनसा देवी जी का प्रादुर्भाव मस्तक से हुआ इस कारण से उन्हें मनसा देवी कहा जाता है।
मनसा देवी में सती का कौन सा भाग गिरा था?
माना जाता है मनसा देवी में देवी सती का सर का अगला भाग गिरा और पिंडी स्थापित हुई