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Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – एक गरीब लड़का था जो एक छोटे से गांव में रहता था। हर दिन 17 घंटे खेतों में काम करता है, केवल एक वक्त के खाने के लिए इसी लड़के ने आगे चल कर 1,00,000 करोड़ की कार कंपनी बना दी। ये कहानी हैं हुंडई के फाउंडर चुँग जुयंग की।
जनम / Born | 25 नवम्बर 1915 – टीसुसेन, कोजेन, जपानीज़ कोरिया -Tsusen, Kogen, Japanese Korea आज – टी’ ऑनगच’ऑन, कंगवॉन प्रोविंस, डैमोक्रटिक पीपल’स रिपब्लिक ऑफ कोरिया Today – T’ongch’on, Kangwon Province, Democratic People’s Republic of Korea |
डैथ/ Died | 21 मार्च 2001 (उम्र 85) सोंगपा डिस्ट्रिक्ट, सियोल, साउथ कोरिया 21th November 2001 (aged 85) Songpa District, Seoul, South Korea |
नागरिकता/ Nationality | साउथ कोरिया – South Korea |
पेशा / Occupation | बीजनेसमन – Businessman |
पहचान/konwn for | फ़ौण्डर ऑफ हुंडई – Founder and honorary chairman of Hyundai |
पत्नी/ Spouse | ब्यून जुंग-सीओक – Byun Joong-seok |
बच्चे/children | 11 (8 बेटे और 3 लड़कियां ) – 11 (8 sons and 3 daughters) |
चुँग जुयंग – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – चुँग जुयंग का जन्म 1950 में हुआ था कोरिया के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनका सपना था एक स्कूल टीचर बनने का लेकिन, फैमिली के फाइनेंशियल कंडीशन इतनी खराब थी कि वो खुद की एजुकेशन भी पूरी नहीं कर पाए।
चुँग को बचपन में दिन रात अपनी फैमिली के साथ खेतों में काम करना पड़ता था, लेकिन इतनी मेहनत के बाद भी ऐसे कई दिन होते थे जब फैमिली के पास एक वक्त का खाना भी नहीं होता था प्रॉपर कपड़े और मेडिकल केयर तो दूर की बात है।
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – चुँग को लकड़ियां बेचने के लिए कई बार पास के शहर जाना होता था वहाँ उन्होंने देखा कि लोगों के पास सफ्फिसेंट खाना है और उन्होंने अच्छे कपड़े पहने है, वो भी बिना दिन रात खेतों में काम किए। चुँग ये सब देख के अपनी गरीबी और अपनी फार्म की लाइफ से फ्रस्ट्रेट होने लगे और अपने लिए भी एक बेहतर जिंदगी चाहने लगे।
घर छोड़कर शहर भागना – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
1 दिन उन्होंने न्यूज़ पेपर आर्टिकल में पढ़ा कि पास के एक शहर में एक बड़ा कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट लग रहा है और उस प्रोजेक्ट के लिए वर्कर्स की जरूरत है। ये पढ़ते ही वो सोच में पड़ गए और उनकी धड़कनें तेज हो गई और 1932 में 16 साल की उम्र में चुँग ने एक चौंका देने वाला फैसला लिया। वो अपना घर छोड़कर शहर भागने वाले थे। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
एक रात चुँग अपने दोस्त के साथ चुपके से शहर की ओर निकल पड़े करीब 160 किलोमीटर चलने के बाद वो कौन शहर पहुंचे और वहाँ कंस्ट्रक्शन लेबर का काम ले लिया। काम काफी मुश्किल था और कमाई काफी कम, लेकिन चुँग काफी खुश थे, क्योंकि वो लाइफ में पहली बार इंडिपेंडेंटली कमा पा रहे थे।
करीब दो महीने तक ये सिलसिला चला, जिसके बाद वो पकड़े गए चुँग के फादर ने उन्हें ढूंढ लिया, उन्हे फ़िर से वापस गंवा आकर फार्मिंग में लगना पड़ा। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – उनके लौटने से फैमिली तो काफी खुश थीं लेकिन चुँग खुश नहीं थे।
इन दो महीनों के काम ने चुँग के अंदर कंस्ट्रक्शन और सिविल इंजीनियरिंग कम्पैशन जगा दिया था। वो जानते थे की खेतो में काम करके वो कभी भी गरीबी से बाहर नहीं निकल पाएंगे और इसीलिए वो दो बार और भागने की कोशिश करते हैं, लेकिन दोनों ही बार उनके फादर उन्हे कुछ ही दिनों में डुंड लेते थे।
डिलीवरी बॉय से बिज़नेसमन – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
फाइनली 1934 में 18 की उम्र में वो अपना फोर्थ स्कैप अटेम्प्ट करते हैं और इस बार उन्हें कोई नहीं रोकता। वो घर से भाग कर सोल पहुंचते हैं, जो आज के दिन साउथ कोरिया का कैपिटल है। वहाँ उन्हें जो भी काम मिला उन्होंने वो किया, सबसे पहले एक कंस्ट्रक्शन लेबर फिर फैक्टरी वर्कर और फाइनली उन्हें भोखीयम राइस स्टोर में एक डिलिवरी बॉय की जॉब मिली। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
कस्टमर और शॉप ओनर्स उनके काम से इतना इंप्रेस थे कि छह महीने के अंदर ही चुँग को डिलीवरी बॉय से स्टोर के मैनेजमेंट संभालने की जिम्मेदारी मिल गई। इसके बाद जब चुँग ने काफी मेहनत की और अपने बलबूते ही स्टोर को ग्रो किया।
1937 मैं स्टोर के ओनर सिरियस बीमार पड़ गए और उन्होंने एक सरप्राइज़इंग फैसला लिया। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – चुँग की मेहनत को देखते हुए उन्होंने स्टोर चुँग के हवाले कर दिया। बाईस साल की उम्र में चुँग स्टोर एम्प्लोई से बिज़नेसमन बन चूके थे। अगले दो सालों में चुँग ने और मेहनत की, मार्केट में ट्रस्ट और रेपुटेशन बनाई जिससे बिज़नेस तेजी से ग्रो हुआ।
वर्ल्ड वार टू – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
सब कुछ अच्छा चल रहा था तभी एक ट्रैजिडी हो गई। वर्ल्ड वार टू का टाइम था उस समय कोरिया में जापान का रूल था। जैपनी चाहते थे कि उनकी मिलिट्री को वॉर के समय पूरी तरह से राइस सप्लाई मिलती रहे जिसके चलते उन्होंने सभी राइस स्टोर की ऑनरशिप ले ली। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
चुँग से भी उनकी राइस शॉप छीन ली गई और उनकी सालों की मेहनत से बनाया हुआ बिजनस एक ही झटके में खत्म हो गया। चुँग काफी दुखी थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
सर्विस गैराज – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – अगर में ‘दिलो-जान से कुछ भी काम करूँ तो मैं उसमें सक्सेसफुल हो सकता हूँ’ इस सोच के साथ वो ऐसा बिज़नेस ढूंढने लगे जिसमें जैपनीज़ गवर्नमेंट का इंटरफेरेंस न हो। बहुत जल्द उन्होंने कार रिपेयर बिज़नेस में जीरो डाउन किया और 1940 में 3000 वार्न का लोन लेके एडो सर्विस गैराज खोला। लेकिन इस बार किस्मत इतनी खराब थी कि खोलने के एक महीने बाद ही गैराज में आग लग गई सब कुछ जलकर राख हो गया।
चुँग की सिचुएशन काफी डिफिकल्ट थी उन्हें अपना लोन चुकाना था और कस्टमर्स को भी आग से होने वाले उनके लॉस के लिए कॉमपेनसेट करना था। एक नॉर्मल इंसान ऐसी सिचुएशन में आसानी से हार मान सकता था, लेकिन चुँग ने हमेशा की तरह प्रॉब्लम को फेस किया। उन्होंने 3500 वॉर्न का फ्रेश लोन लिया और पहले से भी अच्छा गैराज खड़ा किया।
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – चुँग ने देखा की कस्टमर की सबसे बड़ी प्रॉब्लम थी कि उनकी कार रिपेयर होने में कई हफ्ते लग जाते थे इसलिए उन्होंने स्पीड को अपना मेन फोकस बनाया। जहाँ कॉम्पिटिटर को एक सर्टन रिपेर के लिए 20 दिन लग जाते थे वहीं चुँग का गैराज उसी रिपेर को 5 दिन में कर देता था।
उनका गैराज इतना सक्सेसफुल हुआ कि अगले 3 साल में यानी 1943 तक उनकी वर्कफोर्स 80 तक ग्रो हो चुकी थी। इस टाइम तक चुँग ने अपना पूरा लोन रीपे कर दिया था और फैमिली को भी सियोल में सेटल कर लिया था।
हुंडई ऑटो सर्विस – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
सब बेहतर था, बिज़नेस तेजी से ग्रो कर रहा था और तभी एक और मेजर डिजास्टर हो गया। जापान को वर्ल्ड वार 2 के लिए वोर रिलेटेड इक्विपमेंट्स बनाने थे, इसीलिए जापान ने उनके गैराज की ओनरशिप ले ली और एक लोकल स्टील प्लांट से मर्ज कर दिया।
सालों की मेहनत से खड़ा किया बिज़नेस उनसे एक ही झटके में छीन लिया गया, चुँग वापस से स्क्वेयर वन पे आ चूके थे। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – उन्हें अपनी फैमिली के साथ गांव वापस लौटना पड़ा लेकिन इस बार उनके पास 50,000 वॉर्न की सेविंग थी और वो कॉन्फिडेंट थे की वो फिर से एक बिज़नेस बना लेंगे।
वर्ल्ड वार टु के खत्म होने के साथ साथ कोरिया में जापान का रूल भी खत्म हो गया कोरिया के नॉर्दन एरिया में सोवियत यूनियन का इंफ्लुएंस था और सदन एरिया में अमेरिका का, क्योंकि इन दोनों ने वर्ल्ड वार टू में मिलकर जापान के अगेन्स्ट वार लड़ी थी।
इसी के चलते कोरिया – नॉर्थ और साउथ कोरिया में डिविड हो गया। 1946 में चुँग वापस सोल आ जाते है और अपना कार रिपेर बिज़नस रिस्टार्ट करते है बिज़नस पुराना था पर नाम नया था। “हुंडई ऑटो सर्विस” हुंडई मतलब मोडरन।
सिविल वर्क्स कंपनी – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
कार रिपेर का बिज़नस ठीक ठाक चल रहा था, तभी चुँग ने नोटिस किया कि अमेरिका अपनी मिलिट्री फोर्सेस के लिए बिल्डिंग बना रहा है। उन्होंने कंस्ट्रक्शन बिज़नेस में एक बड़ी ओपेर्चुनिटी को देखा उनके पास कंस्ट्रक्शन का ज्यादा एक्सपीरियंस नहीं था, लेकिन उनके अंदर कंस्ट्रक्शन का वो जनून अभी भी ज़िंदा था जो उन्हे अपनी यंग उम्र में एक लेबर की तरह काम करके मिला था। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
इसीलिए उन्होंने 1947 में 31 की उम्र में हुंडई सिविल वर्क्स कंपनी को स्टैब्लिश किया और कंस्ट्रक्शन बिज़नेस में एंट्री ली। शुरवात में उन्हे काफी छोटे मोटे काम मिले लेकिन 1950 आते-आते उनकी कंपनी को बड़े कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स मिल रहे थे और अब यही उनका मेजर बिज़नेस बन चुका था।
नॉर्थ कोरिया vs साउथ कोरिया – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – सब कुछ ठीक चल रहा था कि तभी कहानी में एक और ट्विस्ट आता है जून 1950 में नॉर्थ कोरिया साउथ कोरिया पे हमला कर देता है। नॉर्थ कोरिया ट्रूप सोल के काफी करीब आ चुकी थी, जीस कारण चुँग को अपना पूरा काम छोड़कर अपनी सेविंग्स के साथ कुसंग शहर भागना पड़ता है।
लेकिन इतने बड़े क्राइसिस के बाद भी चुँग हाथ पे हाथ रख कर नहीं बैठे, इस समय यूएस आर्मी साउथ कोरिया के साथ मिलकर नॉर्थ कोरियन आर्मी से लड़ रही थी। उन्हे वेयर हाउसेस और आर्मी हेडक्वार्टर्स की जरूरत थी। चुग ने अबसर्व किया कि अमेरिकन्स के पास पैसों की कमी नहीं थी। उन्हें बस रिलाएबल और टाइम डेलिवरी चाहिए थी और चुँग ने अमेरिकन को वही दिया।
उन्होंने एक छोटी सी टीम से वापस शुरुआत की और कैंट डू मोटों अपनाया मतलब अगर कीमत सही है है तो कोई भी कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट लेने को तैयार थे। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – वॉर चल रही थी और ऐसे में कई प्रॉब्लम्स आई कई बार लॉस भी हुए, लेकिन एक बार ज़ुबान देने के बाद उन्होंने कभी भी किसी प्रोजेक्ट को बीच में नहीं छोड़ा।
उनकी इसी रिलायबिलिटी के कारण उनकी अमेरिकन से काफी स्ट्रांग रिलेशनशिप डेवलप हो गई , 1952 में वार तो खत्म हो गई, लेकिन चुँग को फिर भी अमेरिकन से कॉन्ट्रैक्ट्स मिलते रहे।
रीबिल्ड कोरिया – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – बाद में साउथ कोरियन गवर्नमेंट ने भी कंट्री को रीबिल्ड करने के लिए ब्रिज, डैम्स और रोड्स को तेजी से बनाना शुरू किया। इन सब में हुंडई ने मेजर रोल प्ले किया और बिज़नेस में तेजी से ग्रोथ की, साउथ कोरिया का सबसे बड़ा डैम सोयम डैम और उनका सबसे इम्पोर्टेन्ट एक्सप्रेस वे चुंगु एक्सप्रेस वे हुंडई न हीं बनाया।
1960 में चुँग अपने अर्लि फिफ्टीज में पहुँच चूके थे और एक सक्सेसफुल कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक थे। मगर वो इस से सैटिस्फाइड नहीं थे, चुँग हजारों किलोमीटर की रोड बना चूके थे और अब बारी थी उन रोड पे चलने वाली कार बनाने की।
हुंडई मोटर कंपनी – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
1967 में चुँग ने स्टैब्लिश की हुंडई मोटर कंपनी और 1968 में फोर्ड्स के साथ डील की, जिसमे वो फोर्ड्स पोरटेना कार को असेंबल करने वाले थे। दो साल तक ये जॉइंट वेंचर सक्सेस्स्फुल्ली चला, इसके बाद दोनों कंपनीस के बीच मत भेद होने लगे।
फोर्ड नहीं चाहता था कि हुंडई अपनी खुद की कार बनाए। इसीलिए 1973 में चुँग ने पार्टनरशिप खत्म कर दी और इमीडियेटली नए पार्टनर ढूंढने लगे। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
उन्होंने मैन्युफैक्चरिंग की टेक्नोलॉजी के लिए जनरल मोटर्स और फॉक्सवैगन जैसी कंपनी से डील करने की कोशिश की, लेकिन सब ने मना कर दिया। फाइनली उसी साल उन्होंने जापान की मित्सुबिशी मोटर्स से एग्रीमेंट किया। मित्सुबिशी हुंडई को कार बनाने की टेक्नोलॉजी देने के लिए तैयार हो गया था।
इस डील की सबसे अच्छी बात ये थी की हुंडई इसमे अपनी ब्रांडिंग और अपने दिए नाम के साथ कार बेच सकता था। उसी दौरान साउथ कोरियन गवर्नमेंट ने ऑटो मोबाइल कंपनीज के लिए एक आदेश निकाला की उन्हे एक सिटिज़न कार बनानी है।
ऐसी कार जो आफोर्डेबल और रिलाएबल हो और उसमें केवल साउथ कोरिया में बने पार्ट्स हो। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – 1976 में चुँग ने एक नया प्लांट सेटअप किया और हुंडई ने बनाई साउथ कोरिया की फर्स्ट एवर मास प्रोड्यूस्ड कार अंडर फोनी, अपनी अफोर्डेबिलिटी के कारण ये कार साउथ कोरिया में इतनी सक्सेसफुल हुई देखते ही देखते हुंडई ने 60% मार्केट शेयर कैप्चर कर लिया और वहाँ की सबसे बड़ी कार कंपनी बन गई ।
लेकिन एक कैच था साउथ कोरिया का टोटल कार मार्केट केवल 30,000 कार का था जो प्रॉफिटेबल होने के लिए सफ्फिसेंट नहीं था। हुंडई पोनी साउथ कोरिया में जितनी बड़ी सक्सेस थी ओवरसीज मार्केट में उतनी ही बड़ी फेल्यर थी। कार की क्वालिटी अच्छी नहीं थी गर्मी में पैंट उड़ जाता था और उसमें रेगुलरली मैकेनिकल इशूज आते थे। इन्हीं रीज़न से हुंडई मोटर कंपनी पिछले 7 साल से लॉस में चल रही थी।
लोगों ने चुँग से कहा कि उन्हें यह कंपनी जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी बंद कर देनी चाहिए लेकिन चुँग के फैसले ने सबको शॉक कर दिया कंपनी बंद करना तो दूर, वो एक नई कार फैक्टरी बनाने वाले थे। जिसमें हर साल 3,00,000 कार प्रोड्यूस हो सकती है कंपनी के मैनेजमेंट को ये डिसिशन समझ में ही नहीं आया 30,000 का कार मार्केट में 3,00,000 कार कोन खरीदेगा। Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
नया प्लांट और पोनी 2 – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
मगर चुँग को इसका जवाब पता था साउथ कोरियन इकॉनमी तेजी से ग्रो हो रही थी और हर साल हजारों लोग गरीबी से निकलकर इकॉनमी ली इंपावर हो रहे थे। जिसका मतलब था कि अगले कुछ सालों में कार की डिमांड तेजी से बढ़ने वाली थी प्लस हुंडई की नई कार खास तोर पर फॉरेन कन्ट्रीज में एक्सपोर्ट करने के लिए बनाया जाने वाला था।
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – 1980 में ये फैक्टरी रेडी हुई और 1982 हुंडई ने कई सारे इम्प्रोवेमेंट्स के साथ अपनी पोनी 2 कार लॉन्च की। ये ना केवल साउथ कोरिया में सुपरहिट रही बल्कि उसे अफ्रीका लैटिन अमेरिका और कनाडा जैसे कन्ट्रीज में भी सक्सेस्स्फुल्ली एक्सपोर्ट किया गया।
अगले कुछ सालों में हुंडई 4,00,000 कार बेच के प्रॉफिटेबल हो चुकी थी हुंडई अब ग्लोबल लेवल पे एक डीसेंट कार कंपनी की तरह इस्टैब्लिश हो चुकी थी। लेकिन वर्ल्ड का टफेस्ट और बिग्गेस्ट कार मार्केट यानी यू.एस.ए को क्रैक करना अभी बाकी था। इंटरनेशनली एक डीसंट कार कंपनी से एक मेजर कार कंपनी बनने के लिए यू.एस.ए में सक्सेसफुल होना ज़रूरी था
यूएस मार्केट – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
हुंडई ने जब यूएस मार्केट को स्टडी किया तो देखा कि जैपनीज़ ने कॉम्पैक्ट कार का सेगमेंट कैप्चर कर रखा है और यूएस कम्पनीज़ का मिड और लार्ज साइज मार्केट में ऑलरेडी कट थ्रोट कॉम्पिटिशन है। इसीलिए सब कॉम्पैक्ट मार्केट को टारगेट किया कॉम्पटीशन वर्चुअल ज़ीरो था साथ में हुंडई ने देखा यू स ए में सेकंड हैंड कार मार्केट बहुत बड़ा था।
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – उन्होंने इन्हीं कस्टमर्स को सेकंड हैंड कार के प्राइस पे अपनी नई हुंडई एक्सअल ऑफर की वो भी 5 साल की वॉरंटी के साथ, इस स्ट्रैटिजी ने यू.एस.ए के कार मार्केट को हिला कर रख दिया। सेकंड हैंड कार बाइरस इन्स्टंटली हुंडई एक्सल में शिफ्ट हो गए । 1986 में हुंडई ने यूएस में कुल मिलकर 1,70,000 कार बेची और 1987 में करीब 2,60,000।
इन दोनों सालो मे हुंडई एकसल यूएस की इम्पोर्टेड कार बन गई। यू.एस मार्केट में तब तक इतनी बड़ी इनिशियल सक्सेस किसी और कार कंपनी ने नहीं देखी थी और इसी के साथ हुंडई ग्लोबल लेवल पे एक मेजर कार कंपनी की तरह स्टैब्लिश हो गई ।
चुँग की हुंडई से रिटायरमेंट – Poor Korean Boy who built Hyundai No.1
उसी साल 72 की उम्र में चुँग ने हुंडई से रिटायरमेंट ले ली और ओवनेरी चेयरमैन का टाइटल ले लिया। जिसके बाद उनके भाई और बेटों ने कंपनी की कमान संभाली और पहले जैसे ही डिटरमिनेशन के साथ कंपनी को चलाया। हुंडई आज वर्ल्ड की 3rd बिगेस्ट कार कंपनी है और केवल 2002 में उन्होंने करीब 40,00,000 कार बेची थी। Malavika Hegde ने सीसीडी को कैसे बचाया? Super women
Poor Korean Boy who built Hyundai No.1 – वैसे तो हुंडई ग्लोबली केवल अपनी कार बिज़नेस के लिए जानी जाती है। लेकिन बहुत कम लोगों को पता है के हुंडई ग्रुप में टोटल 42 अलग अलग कंपनीज है जैसे वेटरन डे इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और हुंडई हेवी इंडस्ट्रीज जो दुनिया की सबसे बड़ी शिप बिल्डिंग कंपनी है।
हुंडई के कारण साउथ कोरिया जापान को पीछे करके दुनिया की सबसे ज्यादा शिप्स बनाने वाली कंट्री बन पाई। साउथ कोरिया के लिए हुंडई एक नॉर्मल कंपनी नहीं है, एक विश्व इंस्टीटूशन है जिसने कंट्री को रीबिल्ट किया और हजारों जॉब्स क्रीएट की और साउथ कोरिया को ग्लोबल रिकॉग्निशन की शुरुआत की।
इस गांव के एक गरीब लड़के ने जिसके पास बेसिक छीजे तक नहीं थी उसने हुंडई जैसा ब्रांड खड़ा कर दिया। अपने जोश, वीसन और विल पावर से, वो एक लेजेंड थे। वो 25 नवम्बर 1915 – को टीसुसेन, कोजेन, जपानीज़ कोरिया में जन्मे थे और 21 मार्च 2001 (उम्र 85) सोंगपा डिस्ट्रिक्ट, सियोल, साउथ कोरिया में सबको अलविदा कह गए।
कोरियाई युद्ध के दौरान चुंग जू युंग का क्या हुआ?
जून 1950 में नॉर्थ कोरिया साउथ कोरिया पे हमला कर देता है। नॉर्थ कोरिया ट्रूप सोल के काफी करीब आ चुकी थी, जीस कारण चुँग को अपना पूरा काम छोड़कर अपनी सेविंग्स के साथ कुसंग शहर भागना पड़ता है।
चुंग जू युंग की पत्नी कोन थी?
ब्यून जुंग-सीओक – Byun Joong-seok
चुंग जू युंग फ़ैमिली?
पत्नी ब्यून जुंग-सीओक – Byun Joong-seok और 11 (8 बेटे और 3 लड़कियां ) – 11 (8 sons and 3 daughters)
हुंडई जापानी है या कोरियाई?
हुंडई ने बनाई कोरियाई है और हुंडई ने ही कोरिया की फर्स्ट एवर मास प्रोड्यूस्ड कार अंडर फोनी
चुंग जू युंग का जनम और डैथ कब हुई?
जन्म 25 नवम्बर 1915 – टीसुसेन, कोजेन, जपानीज़ कोरिया में हुआ और डैथ 21 मार्च 2001 (उम्र 85) सोंगपा डिस्ट्रिक्ट, सियोल, साउथ कोरिया
21th November 2001 (aged 85) Songpa District, Seoul, South Korea
motivational story.
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