चुँग बचपन में दिन रात अपनी फैमिली के साथ खेतों में काम करना पड़ता था

इतनी मेहनत के बाद भी ऐसे कई दिन होते थे जब फैमिली के पास एक वक्त का खाना भी नहीं होता था  । 

चुँग अपनी गरीबी और अपनी फार्म की लाइफ से फ्रस्ट्रेट होने लगे और अपने लिए भी एक बेहतर जिंदगी चाहने लगे। 

1932 में 16 साल की उम्र में चुँग ने एक चौंका देने वाला फैसला लिया। वो अपना घर छोड़कर शहर भागने वाले थे। 

करीब 160 किलोमीटर चलने के बाद वो शहर पहुंचे और वहाँ कंस्ट्रक्शन लेबर का काम ले लिया। 

पहले एक कंस्ट्रक्शन लेबर फिर फैक्टरी वर्कर और फाइनली उन्हें भोखीयम राइस स्टोर में एक डिलिवरी बॉय की जॉब मिली। 

कस्टमर और शॉप ओनर्स उनसे इतना इंप्रेस थे कि छह महीने के अंदर ही उन्होंने डिलीवरी बॉय से स्टोर के मैनेजमेंट संभालने की जिम्मेदारी मिल गई।   

वर्ल्ड वार टू वॉर के समय जापान ने  सभी राइस स्टोर की ऑनरशिप ले ली। 

चुँग ने हार नहीं मानी और 1940 में लोन लेकर सर्विस गैराज खोला। एक महीने बाद ही आग से सब जलकर राख हो गया।

चुँग की सिचुएशन काफी डिफिकल्ट थी उनपर लोन था मगर चुँग ने दुबारा लोन लिया और पहले से भी अच्छा गैरेज खोला

सब बेहतर था, तभी एक हादसा हुआ, जापान ने वार में  उनके गैराज की ओनरशिप ले ली। 

उन्होंने फिर वापसी की 1947 में 31 की उम्र में हुंडई सिविल वर्क्स कंपनी को स्टैब्लिश किया और कंस्ट्रक्शन बिज़नेस में एंट्री ली। 

1967 में चुँग ने स्टैब्लिश की हुंडई मोटर कंपनी और 1968 में फोर्ड्स के साथ डील की 

1976 में चुँग ने एक नया प्लांट सेटअप किया और हुंडई ने बनाई साउथ कोरिया की फर्स्ट एवर मास प्रोड्यूस्ड कार