#1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

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नमस्कार दोस्तों

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मेरा नाम है विक्की राजपूत कहानियाँ लिखता हूँ कहानियाँ सुनाता हूँ. आज मै आपके सामने रख रहा हूँ. मेरी लिखी कहानी “जम्मूतवी” पार्ट 1 – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

#1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

#1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

ये कहानी एक मासूम लड़की की है. जिसका नाम प्रिया है. जो रातों को सपने देखती. दिन मे उनको पूरा करने की तरकीबे सोचती रहती. रोज़ कई मुश्किलों के बाद भी होंसला नहीं छोडती. चाहे हर दिन अपने जीवन संघर्ष मे लगी रहती है. पर अपने सपनों को पूरा करने के लिए हर कोशिश करती है.

प्रिया का बच्पन – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

आज फिर प्रिया. जब स्कूल से अपने भाईओं के साथ लड़ते झगड़ते घर पहुंची. तो माँ, हमेशा की तरह ही पानी लिए खड़ी थी. तीनो ने पानी के गिलास उठाऐ और गट गट करते हुऐ एक ही सांस में पी गए. अरे आराम से पियो बच्चो. कोई बस छुट जाएगी क्या. माँ, थोड़ा गुस्से मे बोली.

बस का तो पता नहीं माँ. हाँ मगर, जिसकी खुशबु आ रही है. वो ना छुट जाये कहीं. बावजूद इसके के माँ गुस्सा थी. सबसे पहले प्रिया. फिर उसका छोटा भाई. और अंत में दूसरा भाई भी. तीनों भागते हुऐ रसोई की तरफ चले गए.

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अरे आराम से बच्चों. वहीँ आँगन में पेड़ के निचे बैठे. पापा बोले. इस बीच चारपाई पर बैठी दादी मुस्कुराते हुऐ बोली. यें नहीं रुकेंगे. इदर से उधर सारा दिन. भागम भाग करते रहते है. कभी यहाँ कभी वहां.

ये प्रिया या तो वो #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी पड़ती रहती है. अंग्रेजी शब्दो का कतल सा करती हुई दादी बोली. या रेल की तरह दोड़ती रहती है. वो क्या नाम था. ? अनाद बेटा उसका. जिसमे तू आता है. कलकत्ता से, याद करते हुऐ दादी ने पुछा. माँ “जम्मूतवी” एक्सप्रेस. मंद सा मुस्काते हुऐ पापा बोले.

उसी समय तीनो ही. हलवे से बरी, अपनी अपनी कटोरी लिए. वहीँ रसोईघर के बाहर मटकों के पास ही बैठ गऐ. ओ-हो यहीं बैठ गए. अब मटके न तोड़ देना. चलो उठो, वहां बैठो. चारपाई पर दादी के पास.

इतना कह कर. माँ रसोई में चली गई. प्रिया दोड़ते हुऐ दादी की चारपाई पर जा बैठी. दादी ने बड़े प्यार से, मजाकिया अंदाज में बोला. लो आ गई. हमारी प्यारी “जम्मूतवी” और सब हसने  लग गऐ. इसके बावजूद कि ये परिवार भले ही अमीर न था. मगर उनमे आपसी प्यार और ख़ुशी की कमी न थी.

आइसक्रीम से प्यार – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

सोमवार को जब. रोज़ की तरह प्रिया घर आई. माँ से आते ही बोली. पापा कहाँ है माँ. ? ऐसा क्या काम आन पड़ा पापा की लाडली को. आज आते ही पापा पापा करने लगी. माँ बोली. प्रिया बता भी दो माँ. क्यूँ तंग करती हो. थोडा कलपते हुए प्रिया बोली.

हस्ते हुए माँ बोली. अच्छा मेरी माँ, जा मिल ले. सुबह से घर के पीछे वाले खेत मे काम करने लगे हुए है . इससे पहले के माँ कुछ और बोलती, या पुछती. भागते हुए वहीँ जा पहुंची. हलाकि पापा मट्टी से भरे हुए थे. फिर भी काम कर रहे पिता से जा लिपटी. बड़े प्यार से पापा ने उसे गोद में उठा लिया. और बोले आज जल्दी आ गई मेरी गुडिया रानी.

हाँ पापा ,आज हमें जल्दी छुटी हो गई. क्यूंकि वो मास्टर जी हाँ न. उनको दूर शहर किसी की शादी मे जाना था. अच्छा तो ये बात थी. धीमी सी आवाज़ मे प्रिया बोली. पापा, पैसे दो न. मुझे आइसक्रीम खानी है . जैसे ही पापा से पैसे मिले. 

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जम्मूतवी फिर कहाँ रुकने वाली थी. बिना स्कूल की वर्दी उतारे. भरी दुपहर मे तेज गर्मी के बावजूद. जैसे तैसे हथेली मे २ रूपे का नोट लिऐ. और हाथ मे #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी की किताब लिए बिना किसी को बताऐ. दो कोस दूर ,पैदल ही आइसक्रीम की दुकान पर पहुंची गई.

उसे आइसक्रीम इतनी पसंद थी. के जैसे ही उसने ठंडी आइसक्रीम हाथ मे ली. अपनी सारी थकान वो. पल बर में ही भूल गई. आइसक्रीम खाती खाती फिर घर की तरफ वापिस चल दी.

स्कूल से कॉलेज – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

‘मस्त मोला प्रिया’. अपने आप मे ही खोई रहेने वाली मासूम लड़की थी. हमेशा खुश रहती. जो दादी की लोरीयो, और नानी की कहानियों मे अपनी सपनो की दुनीया देखती. नानी के घर जाने की बात बर से ही, खुश हो जाती.

जब कभी माँ के साथ नानी के घर जाती. तो सारा समय उनके आगे-पीछे गुमती रहती. इसलिए नानी भी उसे प्यार से कहती. अरे मेरी जम्मूतवी. किसी स्टेशन पर रुक भी जाया कर. साँस भी लिया कर.

तो इसतरह से, प्रिया. घर वालो के लाड प्यार मे बड़ी हुई. हाँ मगर, पड़ने लिखने मे कभी उसका कुछ खास मन नहीं लगा. पढ़ने मे उसको ( #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी) अच्छी लगती. बस किसी तरह से भारवी (१२) पास कर ली. अब वो कोलेज़ जाना चाहती थी.

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जब कि घर की आर्थिक सथिति कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी. मगर उसने फिर भी. आगे पड़ने के लिए जैसे तैसे घर वालो को मना लिया. प्रिया ने बी-ऐ मे दाखिला तो ले लिया. परन्तु अब उसको जेब खर्च मे दिकते आने लगी.

वो रोज़ सोचती रहती. कैसे वो बिना घर वालो को तग़ किए. अपने जरुरी खर्च चला सकती है. क्युकि प्रिया अपने घर वालो की माली हालत अच्छे से जानती थी.

सिलाई सीखना – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

फिर एक दिन. प्रिया, को अपनी एक सहेली से पता चला. की उनके घर से थोडा ही दूर. कोई अनीता दीदी है. जो सिलाई सिखाती है. उसने सोचा, क्यूँ न सिलाई सीखी जाऐ. कुछ सिखने के बाद. तो, मे अपना जेब खर्चा निकाल ही लूगी.

बिना वक़्त ख़राब किऐ. जल्दी ही, वो अनीता दीदी के पास पहुंची गई. प्रिया ने सारी बात दीदी को बता दी. दीदी ने भी उसे बड़े प्यार से सिलाई सिखाने के लिए हाँ कह दी. अब प्रिया रोज़. कोलज के बाद, अनीता दीदी के पास जाती.

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वहां अनीता दीदी के पास. प्रिया मन लगा के सब सिखने मे लगी रहती. हररोज सबसे पहले पहुंच जाती. देर तक अनीता दीदी के बताए. सिलाई के तरीको को सीखने में लगी रहती. अपनी कड़ी म्हणत से, प्रिया ने जल्दी ही. काफी कुछ सिख लिया. उसकी मेहनत को देख कर. अनीता दीदी भी बडी खुश थी.

जिसके चलते, उन्होंने ने प्रिया को. उनके जानकर सोहन अंकल. जो की बाज़ार मे औरतो के कपडे सिलाई की छोटी सी दुकान करते थे. वहां लगवा दिया. अब वो साथ मे सीखती भी. साथ ही साथ  सोहन जी की मदद भी करती.

इसके बदले मे. उसको सोहन जी से कुछ पैसे मिल जाते. ये पैसे जादा तो नही थे. मगर प्रिया उसमे जैसे तैसे, अपना महीने का खरचा चला लेती. प्रिया रोज़ कॉलेज के बाद. या कई बार तो, कॉलेज ख़तम होने से पहेले ही. दुकान पर पहुंची जाती. सब काम के तरीको को बारीकी से समजने की कोशिश मे लगी रहती.

सिलाई मे रुची – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

वहां अनीता दीदी के पास. प्रिया मन लगा के सब सिखने मे लगी रहती. हर रोज सबसे पहले पहुंच जाती. देर तक अनीता दीदी के बताए. सिलाई के तरीको को सीखने में लगी रहती. अपनी कड़ी म्हणत से, प्रिया ने जल्दी ही. काफी कुछ सिख लिया. उसकी मेहनत को देख कर. अनीता दीदी भी बडी खुश थी.

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जिसके चलते, उन्होंने ने प्रिया को. उनके जानकर सोहन अंकल. जो की बाज़ार मे औरतो के कपडे सिलाई की छोटी सी दुकान करते थे. वहां लगवा दिया. अब जब वो साथ मे सीखती भी. साथ ही साथ  सोहन जी की मदद भी करती.

इसके बदले मे. उसको सोहन जी से कुछ पैसे मिल जाते. ये पैसे जादा तो नही थे. मगर प्रिया उसमे जैसे तैसे, अपना महीने का खरचा चला लेती. प्रिया रोज़ कॉलेज के बाद. या कई बार तो, कॉलेज ख़तम होने से पहेले ही. दुकान पर पहुंची जाती. सब काम के तरीको को बारीकी से समजने की कोशिश मे लगी रहती.

पहली कमाई – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

बुधवार को जब रोज़ की तरह ही. वो सिलाई के कामो मे रुजी हुई थी. अचानक सोहन अंकल प्रिया के पास आऐ. बोले सुनो. ऐसा करो तुम घर चली जाओ.

क्यूंकि तुमारा भाई आया है, तुमे लेने. कुछ सोचते हुऐ. सोहन जी, ने (५००) पांच सो रुपए का एक नोट. प्रिया की हथेली पर रख दिया. फिर खुद जा कर दुकान के गल्ले पर बैठ गऐ. हलाकि,ये कोई एहसान नहीं था.

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बल्कि, प्रिया की म्हणत का सिर्फ कुछ ही हिस्सा था. मगर सोहन अंकल ने कभी प्रिया को १०० सो पचास से अधिक कभी कुछ दिया नहीं था.  इस से पहेले प्रिया को भी कभी किसी से इतने पैसे नहीं मिले थे.

उसकी आँखों मे असुं उतर आऐ. अपना खुद का कमाया. पहेली बार उसके हाथ मे कुछ इतना था. की वो कुछ तो कर सके. अपने लिए, अपने घर वालो के लिए.

ख़यालो मे खोना

पल बर मे उसके दिल दिमाग मे कई ख्याल गुमने लगे. मन ही मन वो सोचने लगी. इस बार दादी के लिए कोई दुपटा. नानी के लिए कोई अच्छी सी मिठाई ले कर जाउंगी. पापा के लिए वो, माँ के लिए ये. अपने लिए #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी की कोई किताब लुंगी.

मानो उसको ऐसा लग रहा था. जैसे उसको पांच सो रुपए नहीं मिले. बल्कि, कहीं से कुछ भी कर सकने की आज़ादी उसे मिल गई हो. जोकि शायद, किसी भी लड़की के लिए सबसे बड़ा तोफ़ा होगा.

अंकल ने प्रिया को दुबारा आवाज़ दी. तब प्रिया अचानक से अपने खयालो से बहार आई. जट से, दुपटे के एक कोने से अपनी आंखे पोंछती. दुकान के दरवाजे पर खड़े. अपने भाई के पास जा कर बोली. क्या हुआ. ? घर क्यूँ जाना है. ? तुम चलो तो. प्रिया का भाई थोडा जल्दी मे बोला. नहीं तुम बताओ प्रिया बोली .

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मुझे नहीं पता. माँ ने बुलाया है. नानी घर जाना है, शायद. अब जल्दी करो. नानीघर जाने के नाम बर से ही प्रिया ख़ुशी से जूम उठी. अपना पांच सो रुपए का नोट हाथ मे दभाऐ चहरे पर ख़ुशी लिए. ये सोचते हुए. के, वो कोन सी मिठाई लेकर जाएगी. अपनी नानी के लिए. इसी सोच के साथ घर की तरफ़ जल्दी से चलने लगी. और भाई भी उसके पीछे पीछे चलने लगा. 

प्रिया का घर पहुंचना और माँ के साथ नानी घर जाना – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

जब प्रिया घर पहुंची. तो माँ पहले से उसका इंतज़ार कर रही थी. माँ ने उसको साथ लिया. और नानी घर जाने के लिए निकल गई. प्रिया मन ही मन खुश थी. के वो नानी के घर जा रही है. जब वो नानी के घर पहुंची. तो घर के बाहर कुछ लोगो की भीड़ लगी देखी.

प्रिया को कुछ समज नहीं आया. उसका दिल बैठा जा रहा था. जैसे दोनों घर के अंदर गऐ तो सब चुप चाप खड़े थे. उसकी माँ का होंसला भी अब टूट रहा था. घर की दहलीज पर आते ही. माँ की आँखों से कुछ आंसू निकल कर उनकी गालो पर टपक गऐ. जिनको वो पता नहीं कितनो ही घंटो से रोके हुऐ थी

प्रिया दोड़ती हुई नानी के कमरे मे गई. नानी को जमीन पर पड़े देख प्रिया वही ठहर गई. और दरवाजे का सहारा लिए वही ज़मीन पर बैठ गई.मानो जैसे उसके लिए वक़्त कुछ रुक सा गया हो. उसके लिए ये देख पाना ऐसे था. जैसे कोई बुरा सपना.

जिसमे नानी उसके बुलाने पर भी अपनी जान से भी प्यारी बेटी से बोल नहीं रही. जिसमे उसकी वो नानी जो हमेशा दहलीज पर खड़ी उसकी राह देखती रहती थी. वो आज आंखे मुधे जमीन पर पड़ी थी.

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प्रिया यकीन नहीं कर पा रही थी. के उसकी प्यारी दोस्त, उसकी जान से भी प्यारी नानी माँ. जो उसको छोड़ कर कहीं भी नहीं जाया करती थी. जो उसके बिना पल भर भी नहीं रहती थी. अब वो हमेशा के लिए उसे छोड़ दूर कहीं चली गई है. जहाँ से वापिस आने का कोई रस्ता नहीं है.

नानी की मौत से प्रिया को इतना धका लगा. के उसकी आँखों से आंसू कभी खुद ही निकलने लगते तो कभी खुद ही बंद हो जाते. कभी वो जमीन पर पड़ी दादी के गले लगती तो कभी उसका हाथ पकड़ उसे देखती रहती.

नानी की अंतिम बिदाई और संस्कार – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

दुपहर से शाम कब हो गई किसी को पता ही नहीं चला. पापा माँ दादी सबके समझाने से भी प्रिया पर कोई असर न पड़ा. वो बार बार नानी के पास जाकर बैठ जाती.

उसे सारी रात यही लगता रहा. की शायद उसकी दोस्त प्यारी नानी फिर उठ बैठ जाऐ. उस से कोई बात तो कर ले. इस तरहा दुपहर से शाम और शाम से रात. फिर रात से सुबह हो गई. पर दादी कुछ न बोली.

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प्रिया को भी न चाहते हुऐ यकीन करना ही पड़ा. अब उसकी नानी नहीं रही. सूरज चड़ते ही प्रिया के पापा और बाकि सब रिश्तेदार अंतिम संस्कार की तैयारी मे लग गऐ.

प्रिया की आँखों के सामने उसकी दोस्तों. उसकी प्यारी नानी की अर्थी को कुछ लोग अपने कन्धों पर उठाये चल दिए. प्रिया बस देखती रही और उसकी आँखों से आंसू निकलते रहे. अंत नानी को अंतिम बिदाई दे दी गई. और नानी हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह चली गई.

कुछ समय बाद प्रिया – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

वक़्त बिता मौसम बदले पर प्रिया की नानी हमेशा प्रिया की यादों मे जिंदा रही. इन सब चीजो से निकल ने मे #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी ने बड़ा साथ दिया. प्रिया अब फिर से रोज की तरह कॉलेज और सिलाई अदि कामो मे व्यस्त हो गई. वक़्त हर ज़ख़्म बर ही देता है.

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एक दिन प्रिया के पापा दादी और उसके दोनों भाई आंगन मे बैठे बाते कर रहे थे. तो दादी को बार–बार अपने गुटनो को दबाते देख. प्रिया के पापा थोडा गबराते हुऐ बोले. माँ क्या बात है.? तुम बार बार गुटनो को दबा रही हो. कहीं फिर से तुम्हारे गुटनो मे दर्द तो नहीं उठ रहा.

हस्ते हुऐ दादी बोली. अरे नहीं बेटा मै ठीक हूँ. तूं क्यूँ चिन्ता करता है. आज थोड़ी ठण्ड कुछ ज्यादा  ही हो गई है. अगर ये बात थी माँ. तो बताया क्यूँ नहीं. अभी तसले मे आग जला लेते है .

उन्होने अपने दोनों बेटो को बेजा जाओ. रसोईघर से लकड़ी और कुछ कोयला लाओ. और  हां अपनी माँ को भी बुला लाना. दोनों कुछ लकड़ियाँ और कोयला लेकर आ गऐ. और पापा के साथ आग लगाने मे लग गऐ.

प्रिया का दबे पैर घर आना – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

इतने मे प्रिया दबे पैर चुपके से आई. और दादी के पीछे से दोनों हाथो से दादी की आँखों को बंद कर दिया. पर दादी तो पल भर मे ही बोल पड़ी. लो आ गई मेरी जम्मूतवी ठन्डे–ठन्डे हाथ लिऐ. प्रिया ठहाका से लेते हुऐ बोली.

क्या दादी हर बार इतनी जल्दी पहचान लेती हो. ये कहते हुए प्रिया ने दादी को गालो पर चुमते हुऐ. अपनी बाँहों मे जोर से बर लिया.

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बड़े प्यार से दादी बोली बिटिया रानी कभी ऐसा भी हुआ है. के माऐ अपने बच्चो को न पहचाने. हाँ हाँ दादी हर बार की तरह तुम जीती. मै हारी ये कहते हुए प्रिया पापा के गले जा लगी. और फिर माँ को आवाज़ लगाते हुऐ अंदर कमरे मे चली गई.

जन्म कुंडली पर माँ और प्रिया की बात – #1 Motivational story in Hindi | best प्रेरणादायक कहानी

अंदर माँ एक हलके हरे रंग के पुराने जंग खाऐ टारंक को खोल कुछ कागज़ पनो को भिखेरे बैठी कुछ कर रही थी. जैसे प्रिया कमरे के अंदर आई, तो उसको देख माँ जट से सब समेटने लगी.

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प्रिया कुछ कागजों की कॉपी सी उठा देखने लगी. और कुछ पड़ते हुए बोली माँ ये किसकी जन्म कुंडली है. ये विमल कोन है.? माँ ने जट से उसके हाथ से वो कुंडली छिनते हुई बोली. दे इदर ये तेरे काम की चीज नहीं है. बस हर चीज पुशनी है इस लड़की को ये क्या है. ? वो क्या है. ?

जब तक २० सवाल न पुश ले इसको चैन कहाँ आता है. जब तुमे सब पता है माँ तो बता दो न फिर हमारे घर मे तो कोई नहीं है इस नाम का सोचते हुऐ प्रिया बोली. तू चल उठ भाग मुझे भी जाने दे खाने की तैयारी भी करनी है.

दिन ढलने को है जा तू भी बहार बैठ दादी के पास. ये कह कर माँ ने उस पुराने टरंक को वापिस उसकी जगह पर रख दिया. और बात को टालते हुऐ माँ रसोईघर की तरफ चली गई.

आगे पार्ट -2 मैं

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